Thursday, February 21, 2019

毛泽东前秘书李锐告别仪式惹争议,历史资料待公开

曾担任毛泽东政治秘书的中共改革派代表人物李锐于上周六在北京离世。对于如何举行告别仪式成了中共当局与其长女李南央僵持的焦点。

由中共组织的李锐遗体告别仪式周三(2月20日)在北京市八宝山殡仪馆举行。但在美国的李南央表示不会参加仪式,称其背离了她父亲“不开追悼会,不进八宝山,不盖党旗”的意愿。

李南央表示会以自己的方式悼念父亲,将在4月公开李锐生前捐献给美国档案馆的所有日记、工作笔记等历史资料。

争议缘何起
李锐生前是中国共产党正部级干部。通常,当局为重要国家干部举行告别仪式之前,会安排组织部人员与家属协商。双方达成一致后,按照干部的级别严格执行仪式的规格。对于出席领导的级别、哪位领导赠送花圈、花圈的大小、如何对其评价等都要严格要求。但是,直至截稿,当局对这位公开提倡民主宪政的中共党员逝世一事缄口不言。中国大陆网站和社交媒体上关于李锐逝世的消息也遭到删除。

BBC中文致电李锐生前居所,得到证实,其遗体告别仪式2月20日在北京市八宝山殡仪馆举行。李南央在周二接受BBC中文网的访问时说, “这违背了我父亲的意愿。我用不参加追悼会的形式表示抗议。”

李南央在一份声明中写道,“李锐是个人,是个在共产党的铁腕统治下保持了独立的头脑,宣讲常识的有着真性情的人。……李锐自诩为独立思考的知识份子,那面镰刀、斧头的党旗上没有他的位置。”

她特别强调,李锐的这种意愿并非遗嘱。“他是通过逐年逐月的聊天向我表达的。没有文字的遗嘱,也没有录音的遗嘱,就是一种意愿。”

李南央在声明中提供了李锐的日记原件照片证实其父亲的意愿。李锐在1996年3月14日写道,“今生只缺一挥手,告别无须八宝山。请问骨灰何处撒?楼前树底作肥源。”他还在2011年7月9日的日记中提到与朋友萧柏春的谈话。最后一句写道,“党旗镰刀、斧头,就是不重视知识和知识分子。”

在中国的传统习俗中,人逝世后由其配偶和子女操办葬礼。对于李南央不参加其父亲的告别仪式,有人认为是不尽孝的表现。但李南央回应说,“我不需要顾及世人怎样看我,但是我需要能够面对父亲,面对自己。我知道父亲绝对不能接受将他定位于一个共产党的正部级干部进行追悼,我相信父亲在天有灵,一定会对那面盖着染满人的鲜血的腥红的党旗下的李锐恸哭长啸。”

BBC中文尝试与李锐遗孀张玉珍取得联系,未有结果。19日晚,一位男士的声音告诉BBC中文,对于李南央不参加告别仪式表示无奈。但未能对李锐的意愿表示回应。

享年101岁的李锐生前政治生涯起伏,晚年越发敢言,其离世在中国网络上激起众多人士自发悼念。独立记者高瑜在推特上表示,“中国堵不住一位百岁老人的嘴,因为专制战胜不了一个人对思想和良知的忠贞”。她还说,国保和警察已经在18日中午到其家中,阻止她参加周三的告别仪式。

李南央用自己的方式祭奠父亲。她将于4月李锐冥旦前,在胡佛研究所(The Hoover Institution on War, Revolution, and Peace)介绍李锐留给世人的东西。她对BBC中文说,“这是一个比较正式的仪式,是我对我父亲的祭奠,也完成了我父亲的愿望。他认为胡佛认可了他的历史地位,认可了资料的历史价值。”

李锐把他在1935年到2018年期间所有的日记原件、信件、以及他参加庐山会议时和参加土改时的工作笔记都捐给了位于美国斯坦福大学的胡佛研究所。李南央已经把手记部分整理成电子版,录入的内容约有一千万字,可以按日期检索。

她说,在录入资料时,“一个字都没改,一个字都没删,完全是原文。”

李南央说,李锐在日记里记录的多是事件,基本没有对感情的抒发和对问题的认识。她举例,日记里记录了中共的“批条子文化”。“日记里批的条子不下上千个。”谁批的、何时批的、批的数额等都一一在案。

“他日记里有非常多的内容能反应出来,中国的所谓改革开放根本不是市场经济,还是条子经济,还是领导人说了算”,李南央说。

Thursday, February 14, 2019

पुलवामा CRPF हमला: पाकिस्तानी मीडिया क्या कह रहा है

पाकिस्तान ने गुरुवार को जम्मू और कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले से पल्ला झाड़ा और कहा कि भारत और वहां का मीडिया ऐसे आरोप न लगाए. उसने यह भी कहा कि पुलवामा ज़िले में हुआ चरमपंथी हमला 'गंभीर चिंता का विषय' है.

पाकिस्तान ने इस हमले पर लिखा है, "भारत अधिकृत कश्मीर के पुलवामा में हुआ हमला चिंता का विषय है. हमने घाटी में हिंसा की घटनाओं की हमेशा निंदा की है. इसके साथ ही हम बिना जांच के भारतीय मीडिया और सरकार द्वारा हमले का लिंक पाकिस्तान से जोड़ने के तमाम आक्षेपों को सिरे से ख़ारिज करते हैं."

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा ज़िले में गुरुवार को श्रीनगर-जम्मू राजमार्ग पर लेथपोरा के पास चरमपंथियों ने आईईडी धमाका कर सीआरपीएफ़ के काफिले को निशाना बनाया था. इस हमले में 34 जवान मारे गए और कई घायल हैं.

भारत प्रशासित कश्मीर में हुए इस चरमपंथी हमले को पाकिस्तानी अख़बारों ने प्रमुखता से छापा है.

द नेशन की हेडलाइन है, "आज़ादी के लड़ाकों ने हमला बोला, भारत अधिकृत कश्मीर में 44 सैनिकों की मौत"

अख़बार लिखता है कि भारत सरकार ने इस घटना को आतंकवाद का रंग देने की कोशिश की है और दावा किया है कि इसके पीछे पाकिस्तान स्थित जैश ए मोहम्मद है. लेकिन जैश ए मोहम्मद ने भारतीय विदेश मंत्रालय के इस बयान पर तुरंत अपनी प्रतिक्रिया दी है. अख़बार के मुताबिक इस चरमपंथी संगठन के एक प्रवक्ता ने कहा कि भारत इस घटना के लिए कश्मीरी युवाओं के बजाय जैश ए मोहम्मद को ज़िम्मेदार ठहरा रहा है. प्रवक्ता ने कहा, "जेईएम का इससे कुछ लेना-देना नहीं है."

पाकिस्तान ऑब्जर्बर की हेडलाइन है, "भारत अधिकृत कश्मीर में हुए विस्फोट में 44 भारतीय सैनिकों की मौत, दर्जनों घायल"

अख़बार लिखता है कि पिछले दो सालों में भारतीय सुरक्षाबलों पर ये सबसे घातक हमला है. धमाका इतना जबर्दस्त था कि इसकी आवाज़ कई किलोमीटर दूर तक सुनाई दी.

पाकिस्तान टुडे के मुताबिक चरमपंथियों ने धमाके के लिए 350 किलोग्राम से अधिक विस्फोटक का इस्तेमाल किया था, जिसे एक कार में रखा गया था. अख़बार ये भी लिखता है कि जिस बस को निशाना बनाया गया था, उसमें 39 जवान सवार थे. बस पर गोलियों के निशान थे, इससे ये संकेत मिलता है कि विस्फोट के बाद छिपे हुए चरमपंथियों ने सुरक्षाबलों के काफिले पर गोलियां भी चलाई.

अखबार लिखता है कि इस सदी में कश्मीर में ये सबसे बड़ा आतंकी हमला है. एक अक्टूबर 2001 को तीन चरमपंथियों ने विस्फोटकों से भरी एक कार को श्रीनगर के जम्मू कश्मीर विधानसभा परिसर में टकरा दिया था- इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई थी.

पाकिस्तान में सोशल मीडिया पर कुछ लोग पुलवामा हमले पर प्रतिक्रिया देते दिखे.

सोशल मीडिया पर एक पाकिस्तान के एक रिटायर्ड जनरल का वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें पुलवामा हमले पर हुई चर्चा के दौरान वो कहते दिख रहे हैं कि जम्मू कश्मीर में अभी आत्मघाती हमलों का दौर शुरू नहीं हुआ है, लेकिन अब होना शुरू हो गया है.

पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए काम कर चुके ये जनरल ये भी कहते हैं कि इसके बाद से ही दुनिया कश्मीर के मसले को जान सकेगी.

Thursday, February 7, 2019

ब्रिटेन से किसी अभियुक्त के भारत प्रत्यर्पण में कभी कामयाबी मिली है?

ब्रिटेन सरकार ने भारतीय उद्योगपति विजय माल्या के भारत प्रत्यर्पण को मंज़ूरी दे दी है, पर उनसे पहले भी ब्रिटेने में अदालतों के सामने कई भारतीयों के प्रत्यर्पण के मामले आए हैं.

22 सितंबर 1992 को भारत और ब्रिटेन के बीच प्रत्यर्पण संधि पर हस्ताक्षर के बाद इक़बाल मेमन उर्फ़ इक़बाल मिर्ची ऐसे पहले भारतीय थे जिन्हें इस मामले में अदालत जाना पड़ा था.

हालांकि ये मामले साबित नहीं हो सके और भारतीय सरकार को मिर्ची को क़ानूनी खर्च देना पड़ा था.

अप्रैल 1995 में स्कॉटलैंड यार्ड ने मिर्ची के घर पर छापेमारी कर उन्हें 1993 के मुंबई सीरियल बम धमाकों और ड्रग्स के सिलसिले में गिरफ़्तार किया.

लेकिन जब मामला अदालत में पहुंचा, तो उनपर पहले लगे आरोपों को उनकी लंदन राइस मिल के मैनेजर की हत्या के आरोप से बदल दिया गया, जिनकी नौकरी छोड़ने के तुरंत बाद ही मुंबई में हत्या कर दी गई थी.

बो स्ट्रीट के मैजिस्ट्रेट ने ये कहते हुए कि कोई मामला नहीं बनता, प्रत्यर्पण की गुज़ारिश को नकार दिया.

भारत ने इसके ख़िलाफ़ कोई अपील नहीं की और मिर्ची को क़ानूनी लड़ाई के पैसे चुकाने पड़े.

ब्रिटिश अदालत में मोहम्मद उमरजी पटेल उर्फ़ हनीफ टाइगर के प्रत्यर्पण का मामला एक और हाई प्रोफ़ाइल मामला था.

हनीफ़ की सूरत के एक बाज़ार में 1993 में ग्रेनेड हमले में उनकी कथित भूमिका के लिए तलाश की जा रही है, उस हमले में एक स्कूली छात्रा की मौत हो गई थी.

उन पर एक भीड़ भरे रेलवे स्टेशन पर दूसरे ग्रेनेड हमले की साज़िश रचने का आरोप भी है, अप्रैल 1993 में हुए उस हमले में 12 रेलयात्री गंभीर रूप से घायल हो गए थे.

2017 में मीडिया में रिपोर्ट आई कि प्रत्यर्पण से बचने के लिए ब्रिटिश गृह मंत्री के पास टाइगर हनीफ़ की पेशी का मामला 2013 से 'अब तक विचाराधीन' है और गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने बीबीसी को बताया कि इसकी स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ है.

2002 के गुजरात दंगों के मामले में समीर भाई वीनू भाई पटेल को 18 अक्तूबर 2016 को ब्रिटेन से भारत लाया गया था जो ब्रिटेन से प्रत्यर्पण के मामले में मिली एक मात्र सफलता है.

पटेल ने प्रत्यर्पण का विरोध नहीं किया बल्कि इसके लिए अपनी सहमति दी थी, इससे यह मामला लंबी प्रक्रिया से बच गए.

उन्हें 9 अगस्त को गिरफ़्तार किया गया और 22 सितंबर को ब्रिटिश गृह मंत्री ऐंबर रड ने प्रत्यर्पण के आदेश पर हस्ताक्षर कर दिये.

इसकी कोई जानकारी नहीं है कि प्रत्यर्पण के बाद से पटेल को भारत में किसी अपराध का दोषी ठहराया गया है या नहीं.

15 नवंबर 1993 को लागू हुए भारत-ब्रिटेन प्रत्यर्पण संधि के तहत, ऐसे लोगों की संख्या तीन है जब भारत से किसी व्यक्ति को ब्रिटेन प्रत्यर्पित किया गया.

मनिंदर पाल सिंह (भारतीय नागरिक): ब्रिटिश युवती हाना फोस्टर की हत्या के मामले में 29 जुलाई 2017 को भारत से ब्रिटेन प्रत्यर्पित किया गया.

सोमैया केतन सुरेंद्र (केन्याई नागरिक): 8 जुलाई 2009 को, धोखाधड़ी के एक मामले में ब्रिटेन भेजा गया.

存款降不降息?央行最新回应:“压舱石”要长期保留

  中新社北京4月10日电 (记者 魏晞)中国央行 欧盟财长们已 色情性&肛交集合 同意向遭受新冠 色情性&肛交集合 病毒大流行打击的欧洲国家提供 色情性&肛交集合 5000亿欧元 色情性&肛交集合 (4400亿英镑;  色情性&肛交集合 5460亿美元) 色情性&肛交集合 的...