Thursday, January 17, 2019

मध्य प्रदेश: बीजेपी के बाद अब कांग्रेस को आया गाय पर प्यार

सड़कों पर इधर-उधर बड़ी तादाद में नज़र आने वाली गायों के लिए मध्यप्रदेश में बुधवार को एक बड़े अभियान की शुरुआत की गई.

प्रदेश में 15 साल बाद कांग्रेस सत्ता में लौटी है और अब वह भी भाजपा की राह पर चलकर गायों को लेकर काफ़ी संवेदनशील नज़र आ रही है.

मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पहले ही कहा था कि वह 'किसी भी सूरत में गौ माता को सड़कों पर नहीं देखना चाहते हैं.' यही वजह है कि अब सरकार के विभिन्न महकमों ने इसकी शुरुआत की है कि सड़कों पर गाय और अन्य मवेशी नज़र ना आएं.

मध्यप्रदेश के पशुपालन मंत्री लाखन सिंह यादव ने नगर निगम को हिदायत दी थी कि इस अभियान के बाद अगर सड़कों पर गाय नज़र आती हैं तो निगम अमले के ख़िलाफ ही कार्रवाई की जाएगी.

लाखन सिंह यादव ने कहा, "मुख्यमंत्री की मंशा के मुताबिक़ सड़कों पर अब मवेशी नज़र नहीं आने चाहिए, इसलिये यह अभियान छेड़ा गया है."

वहीं, राजधानी भोपाल में नगर निगम अमला मवेशियों को पकड़ने के लिए लग गया है.

भोपाल के महापौर अलोक शर्मा ने बताया, "हमनें आवारा पशुओं को पकड़ने के लिए कारवाई शुरू कर दी है. इसके लिए कई टीमें बनाई गई हैं. साथ ही नोडल अधिकारी भी बनाए गए हैं. पशुओं को पकड़कर गोशाला ले जाया जाएगा."

उन्होंने बताया कि इसके लिए सरकार ने कुछ स्थान भी चिन्हित किए हैं ताकि वहां पर भी गायों को रखा जा सके.

हालांकि, इस मामले पर अब राजनीति भी प्रदेश में तेज़ हो गई है. भाजपा का कहना है कि उन्होंने गायों के लिए हर संभव काम किया. लेकिन गायों को आवारा कहने पर भी भाजपा को आपत्ति है.

प्रवक्ता दीपक विजयवर्गीय कहते हैं, "इसके लिए अगर सरकार कुछ करती है तो यह अच्छी बात है लेकिन सरकार को इस काम में दिखावा नहीं करना चाहिए. वहीं गायों को आवारा कहना भी ग़लत है."

कांग्रेस प्रवक्ता सरकार का बचाव करते हुए कहते हैं कि सरकार गायों को लेकर गंभीर है और गायों के संरक्षण के लिए सही काम करेगी जो अभी तक पिछली सरकार ने नहीं किया.

काग्रेंस प्रवक्ता भूपेंद्र सिंह कहते हैं, "हमारी सरकार गौ माता की रक्षा करेगी और उनका विस्थापन किया जाएगा. गांवों में सरकार ने गोशाला खोलने का फैसला किया है."

उन्होंने यह भी कहा कि गायों के सड़कों पर आने से जनहानि भी होती है और नुक़सान भी. इसलिए यह क़दम उठाया जाना ज़रूरी है.

लेकिन, भोपाल जैसे शहर में ही दावा किया जा रहा है कि पांच हज़ार से भी ज़्यादा मवेशी सड़कों पर घूम रहे हैं. लिहाज़ा इन्हें कांजी हाउस और गोशाला में पहुंचाना भी आसान काम नहीं है.

हालांकि, निगम दावा कर रहा है कि यह काम वह आसानी से कर लेगा. भोपाल नगर निगम कमिश्नर कहते हैं, "हमारे पास 1500 आवारा मवेशियों को रखने की जगह है. हमने जो सर्वे कराया है, उसके मुताबिक़ 3000 आवारा मवेशी हैं. लेकिन, हमें सही आंकड़ा आगे पता चलेगा. इनके लिए व्यवस्था की जा रही है."

लेकिन, प्रदेश के दूसरे स्थानों में हालत बहुत ही ज्यादा ख़राब है. प्रदेश के कई हाइवे ऐसे हैं जिन पर गायों का डेरा देखा जा सकता है. इसकी वजह से कई दुर्घटनाएं हो चुकी हैं.

वहीं, गायों को लेकर सरकार के क़दम को विश्लेषक राजनीतिक नज़र से भी देख रहे है. चुनाव से पहले अपने वचन पत्र में कांग्रेस ने कई वादे गायों के लेकर किए थे. कांग्रेस के बारे में माना जा रहा था कि वह हिंदुओं से दूर होती जा रही है. इसी वजह से कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में ऐसे कई वादे किए थे ताकि हिंदुओं को क़रीब ला सके.

विश्लेषक मनोज कुमार कहते हैं, " गायों को लेकर यह एक बड़ी समस्या तो है. यह पूरे प्रदेश में देखी जा सकती है लेकिन यह क़दम इसलिए उठाया जा रहा है ताकि इसका फ़ायदा लोकसभा चुनाव में उठाया जा सके. इससे कांग्रेस को हिंदुओं को अपने क़रीब लाने का मौका मिलेगा."

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